environmental-education

Q.41: मेनका गाँधी- पर्यावरणीय कार्यकर्ता के जीवन परिचय तथा योगदान की विवेचना कीजिए–

उत्तर : मेनका गाँधी

मेनका गाँधी भारत सरकार महिला एवं बाल विकास विभाग में केबीनेट मंत्री हैं। वे प्रसिद्ध राजनेत्री, पर्यावरणवादी, लेखिका, पशु अधिकारवादी, पत्रकार हैं। उनका जन्म 26 अगस्त, 1956 को नई दिल्ली में हुआ। उन्होंने लेडी श्रीराम महिला कॉलेज नई दिल्ली में शिक्षा प्राप्त की। पूर्व में वे पत्रकार भी रह चुकी हैं। पशु अधिकारों को मुख्यधारा में लाने का श्रेय मेनका गाँधी को जाता है । वे वन्य पशु, पालतू पशु सभी के अधिकारों की संरक्षिका है। पशुओं के संरक्षण के तहत वे पर्यावरण संरक्षण से भी जुड़ी हुई है। उन्होंने सन् 1992 में पीपल फॉर । एनीमल नामक एक गैर सरकारी संगठन आरंभ किया जो पूरे भारत में पशु आश्रम चलाता है । बंदर नचाना, नागपंचमी पर भागों को नचाना भालू का तमाशा दिखाना आदि को बंद करवाने तथा प्राणियों को आजादी देने में उनका योगदान रहा है। हाल ही में खेती को नुकसान पहुँचाने वाली नीलगायों को मारने के खिलाफ उन्होंने अपनी आवाज उठाई। हालांकि इसकी आलोचना भी जैन समाज ने करते हुए कहा कि वे अपनी संवेदना विशेष अवसरों पर ही दिखाती है । ईद में जब लाखों की संख्या में बकरियाँ कटती हैं तब वे उसके विरोध में क्यों नहीं बोलतीं। पशु प्रेम और पशुओं के प्रति कूरता का विरोध कर मेनका गाँधी ने जैव विविधता संरक्षण द्वारा पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया है |

श्रीमती मेनका गाँधी ने वन्य जीवों के प्रति दया भाव रखने तथा उनकी सुरक्षा के लिए जनचेतना जगाने का काम भी किया है। पूर्व में वे पर्यावरण एवं वन राज्य मंत्री भी रह चुकी हैं। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण पर अनेक पुस्तकों का लेखन भी किया तथा शाकाहारी भोजन को प्रोत्साहित किया। मेनका गाँधी की प्रमुख पुस्तकें हैं–

(1) The Penguin book, (2) Brahma's Hair, (3) The book of trees, (4) 1000 जीवजंतु प्रश्नोत्तरी, (5) Animal Laws, (6) First Aid for Animals, (7) Heards and tails आदि । वे एक पत्रिका की संपादिका भी रह चुकी है।


B-Ed Notes For Error Please Whatsapp @9300930012