राजनीति विज्ञान

Que : 24. भारतीय लोकतंत्र की सामाजिक और आर्थिक असमानता के प्रभावों को संक्षेप में लिखते हुए इन्हें दूर करने के उपायों का वर्णन कीजिए।

Answer:उत्तर-भारतीय लोकतंत्र को सामाजिक एवं आर्थिक असमानताओं के कारण निम्नांकित प्रभावों से जूझना पड़ रहा है-
(1) सामाजिक एवं आर्थिक असमानता से सारा समाज तनावग्रस्त रहता है जिसका प्रभाव आपसी बैर, वैमनस्यता, ईष्र्या के रूप में दिखाई पड़ता है।
(2) दोनों क्षेत्रों में उपस्थित असमानता, जातिवाद, साम्प्रदायिकता, अलगाववाद, नक्सलवाद आदि समस्याएँ लोकतंत्र के लिये खतरा उत्पन्न करती हैं।
(3) असमानता से वर्गीय हितों को प्रधानता और राष्ट्रीय हितों को गौणता प्राप्त होती है।
(4) समानता और स्वतंत्रता के अधिकारों पर कुठाराघात ।
(5) इस असमानता के फलस्वरूप कमजोर वर्ग को शासन में समुचित प्रतिनिधित्व प्राप्त नहीं हो पाता है। फलतः अलगाववाद की स्थिति बनने लगती हैं। देश में व्याप्त सामाजिक और आर्थिक असमानताओं के प्रभाव को समाप्त करने के लिए शासन से निम्नांकित प्रयास किये जाना अपेक्षित है
1. आर्थिक समानता स्थापित करना-सर्वप्रथम अर्थ से पीड़ित समाज को राहत देने के लिये नौकरी । के अधिक-से-अधिक अवसर उपलब्ध कराने हेतु स्वयं एवं धनी वर्ग से उद्योग स्थापित कराये जाने के प्रयास हो। यह सुनिश्चित किया जाये कि आर्थिक असमानता से पीड़ित वर्ग के प्रत्येक परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी उपलब्ध हो तथा उसके लिए न्यूतनम वेतन मजदूरी भी सुनिश्चित हो।'
2. प्रगतिशील कर प्रणाली और संपत्ति की सीमा निर्धारण-आर्थिक क्षेत्र में लोगों को काम मिलने से प्राप्त होने वाली आय पर इस तरह की कर प्रणाली लागू की जाये जिसमें छोटी आय वाले व्यक्ति इससे अधिक प्रभावित न हो। अधिक आय वालों पर आयकर की सीमा जरूर बढ़ायी जाने पर यह ध्यान में रखा जाये कि इस वर्ग से ही बैंक में अधिक बचत जमा की जाती है जिससे व्यापार और आर्थिक विस्तार के मार्ग खुलते हैं। आयकर से प्राप्त राशि को जनकल्याण कार्यों में लगाये जाने पर बल दिया जाये। सरकार यह भी देखे कि देश की आय किसी वर्ग विशेष के स्वामित्व में सिमट कर न रह जाये। किसी को असीमित धन जोड़कर रखने का अधिकार न दिया जाये।
3. सामाजिक असमानता को दूर करने हेतु-धर्म, जाति सम्प्रदाय के संगठनों पर प्रतिबंध लगाया जाये। देश में सभी समाज के लोग बिना किसी भेदभाव के अपने आर्थिक विकास में अवसर पा सकें इसका ध्यान शासन को रखना होगा । सामाजिक या जातीय संगठन भाईचारा और प्रेम का वातावरण बनाये रखें इसके लिए आवश्यक है कि जातिगत, धर्मगत और साम्प्रदायिक भावनाओं को भड़काने वाले कार्यक्रमों पर सख्ती से कार्यवाही हो।
4. मूलाधिकारों एवं नीति-निदेशक सिद्धान्तों का क्रियान्वयन हो–संविधान ने देश में सभी स्तर पर समानता और विकास के समान अवसर प्रदान करने हेतु मूलाधिकारों और राज्य के नीति-निदेशक सिद्धान्तों का समावेश किया गया है। यह सिर्फ संविधान की पुस्तिका में ही सिमट कर न रह जाये। सरकार केन्द्र एवं राज्य स्तर पर इन्हें यथार्थ स्वरूप प्रदान करने के लिए आवश्यक नियम, अधिनियम, कार्यक्रम व योजनाएँ तैयार कर इन्हें क्रियान्वित करें। इससे आर्थिक एवं सामाजिक असमानता के अधिकांश कारण समाप्त हो जायेंगे। इसका अच्छा प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए ताकि जनता इनके महत्व को समझ सके।
5. सामाजिक सेवाओं का विस्तार सरकार का दायित्व है कि वह निरक्षरता, निर्धनता को समाप्त करने के लिये शिक्षा का प्रसार करे, छात्रों को सुविधाएँ उपलब्ध कराये, बेरोजगारी भत्ता, कृषि बीमा योजना, वृद्धावस्था पेंशन, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार कर गरीबी और निरक्षर लोगों के लिए नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा दिलाने के लिये नियम बनाया जाये।
6. आंरक्षण व्यवस्था-समाज में नारकीय जीवन जीने वाले आदिवासी, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जातियाँ अन्य पिछड़ा वर्ग के आर्थिक एवं सामाजिक स्तर को ऊपर उठाने के लिए उन्हें शिक्षा की विशेष व्यवस्था उपलब्ध करायी जावे। शासकीय एवं सार्वजनिक सेवाओं के लिए निर्धारित योग्यता के मापदंड पाने के लिए कोचिंग की व्यवस्था की जावे व सेवाओं में आरक्षण दिये जाने की व्यवस्था की जाये।


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