Que : 23. अशिक्षा (निरक्षरता) भारतीय लोकतंत्र को किस प्रकार प्रभावित करती है? स्पष्ट कीजिए।
Answer:उत्तर– निरक्षरता से भारतीय लोकतंत्र निश्चित रूप से प्रभावित हो रहा है।
इसके लिये निम्नलिखित परिस्थितियाँ जिम्मेदार हैं-
1. निरक्षर वर्ग में राजनीतिक जागृति का अभाव-निरक्षर वर्ग शासन के विभिन्न प्रकारों से अपरिचित होने के कारण उसकी दृष्टि में सभी प्रकार की शासन पद्धतियाँ का एक ही लक्ष्य होता है। सत्ता की बागडोर अपने हाथ में रखना। अत: यह कहावत कि “कोई हो नृप हमें क्या हानि” की तर्ज पर देश का अधिकांश वर्ग राजनीतिक व्यवस्था के प्रति उदासीनता का भाव रखता है। इस उदासीनता का लाभ राजनीतिक अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए उठाते रहते हैं। इससे लोकतंत्र की जड़ें मजबूत नहीं हो पाती।
2. मानसिक रूप से परिपक्व नहीं-निरक्षर वर्ग प्रायः अपने आसपास के क्षेत्र से ही संबंध रखते हुए ‘कुएँ में मेढक' का जीवन जीता आ रहा है। संकुचित और अविकसित मानसिकता के कारण देश में हो रहे राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों से पूर्णत: अछूते रहकर एकाकी जीवन व्यतीत करते रहते हैं। देश के बहुत बड़े वर्ग का यह पिछड़ापन आर्थिक और राजनीतिक विकास में बाधक बना रहता है।
3. हीनभावना से सजग जनमत का न बन पाना-आज के बदलते परिवेश में निरक्षर व्यक्ति अपने को । अकेला महसूस करता है। शिक्षित वर्ग की गतिविधियों को देखकर उसके मन में हीनता की भावना जाग्रत होती है। वह बंदलते समाज से जुड़ना चाहता है पर आगे कदम बढ़ाने का साहस नहीं जुटा पाता है। फलस्वरूप शासन द्वारा इनके कल्याणार्थ तैयार किये गये कार्यक्रम और योजनाओं के लाभ से ये वंचित रहते हैं। राजनीतिक धारा से न जुड़ पाने के कारण वे तो लाभ से वंचित रहते ही हैं, लोकतंत्र भी मजबूत और विकास के क्षेत्र में आगे नहीं। बढ़ पाता है।
4. लोकतंत्र से प्राप्त होने वाले राजनीतिक लाभ से वंचित रहना- लोकतंत्र प्रत्येक व्यक्ति को समानता और स्वतंत्रता के अधिकार प्रदान करते हुए उन्हें अपने विकास के लिये खुला अवसर प्रदान करता है। निरक्षर व्यक्ति इसके अर्थ और महत्व को नहीं समझ पाने के कारण अपनी पुरातन अवस्था में ही बना रहना चाहता है। उसका एक ही लक्ष्य होता है-जीने के लिये भोजन, तन के लिये लंगोटी और छाया के लिये झोपड़ी। राजनीतिक दल चुनाव में इनके मतों को दुरुपयोग कर लोकतंत्र को कमजोर करते हैं जो आगे हानिकारक सिद्ध होगा।
5. लोकतांत्रिक मूल्यों का ह्रास–निरक्षरता का राजनीतिक दल अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति और सत्ता में भागीदारी प्राप्त करने में लगे रहने से लोकतांत्रिक मूल्यों को हानि पहुँचाती है, स्वहित के लिये इस वर्ग को जातिवाद, साम्प्रदायिकता आदि संकीर्ण और विघटन करने वाले विचारों से इतना विषाक्त करते रहते हैं इससे इस वर्ग का राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक ह्रास इतना हो रहा है कि देश की अखंडता व एकता को खतरा हो सकता है।