PHYSICS

Que : 87. विद्युत चुम्बकीय प्रेरण संबंधी लेंज का नियम लिखिए एवं समझाइए कि कैसे लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुकूल है ।

Answer:  लेंज का नियम तथा ऊर्जा संरक्षण सन 1834 में जर्मन भौतिकविद हेनरिक फ्रेडरिच लेंज (1804-1865) ने एक नियम का निगमन किया जिसे लेंज का नियम के नाम से जाना जाता है। यह नियम प्रेरित विद्युत वाहक बल की ध्रुवता (दिशा) का स्पष्ट एवं संक्षिप्त रूप में वर्णन करता है। इस नियम का प्रकथन है -

प्रेरित विद्युत वाहक बल की ध्रुवता (polarity) इस प्रकार होती है कि वह उस दिशा में धारा प्रवाह प्रवृत्त करे जो उसे उत्पन्न करने वाले कारक (चुंबकीय क्षेत्र परिवर्तन) का विरोध करे।

समीकरण (6.3) में ऋण चिह्न इस प्रभाव को निरूपित करता है। अनुच्छेद 6.2.1 के प्रयोग 6.1 का निरीक्षण करके हम लेंज के नियम को समझ सकते हैं। चित्र 6.1 में हम देखते हैं कि दंड चुंबक का उत्तरी-ध्रुव बंद कुंडली की ओर ले जाया जा रहा है। जब दंड चुंबक का उत्तरी ध्रुव कुंडली की ओर गति करता है तब कुंडली में चुंबकीय फ्लक्स बढ़ता है। इस प्रकार कुंडली में प्रेरित धारा ऐसी दिशा में उत्पन्न होती है जिससे कि यह फ्लक्स के बढ़ने का विरोध कर सके। यह तभी संभव है जब चुंबक की ओर स्थित प्रेक्षक के सापेक्ष कुंडली में धारा वामावर्त दिशा में हो। ध्यान दीजिए, इस धारा से संबद्ध चुंबकीय आघूर्ण की ध्रुवता उत्तरी है जबकि इसकी ओर चुंबक का उत्तरी ध्रुव आ रहा हो। इसी प्रकार, यदि कुंडली में चुंबकीय फ्लक्स घटेगा। चुंबकीय फ्लक्स के इस घटने का विरोध करने के लिए कुंडली में प्रेरित धारा दक्षिणावर्त दिशा में बहती है तथा इसका दक्षिणी ध्रुव दूर हटते दंड चुंबक के उत्तरी ध्रुव की ओर होता है। इसके फलस्वरूप एक आकर्षण बल काम करेगा जो चुंबक की गति तथा इससे संबद्ध फ्लक्स के घटने का विरोध करेगा।

उपरोक्त उदाहरण में यदि बंद लूप के स्थान पर एक खुला परिपथ उपयोग किया जाए तो क्या होगा? इस दशा में भी, परिपथ के खुले सिरों पर एक प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न होगा।

प्रेरित विद्युत वाहक बल की दिशा लेंज के नियम का उपयोग करके ज्ञात की जा सकती है। चित्र 6.6 (a) तथा (b) पर विचार करें। ये प्रेरित धाराओं की दिशा को समझने के लिए एक सरल विधि सुझाते हैं। ध्यान दीजिए कि तथा द्वारा दर्शायी गई दिशाएँ प्रेरित धारा की दिशाएँ निरूपित करती हैं।  

चित्र 6.6 लेंज के नियम का चित्रण

इस विषय पर थोड़े से गंभीर चिंतन से हम लेंज के नियम की सत्यता को स्वीकार कर सकते हैं। माना कि प्रेरित विद्युत धारा की दिशा चित्र 6.6(a) में दर्शायी गई दिशा के विपरीत है। उस दशा में, प्रेरित धारा के कारण दक्षिणी ध्रुव पास आते हुए चुंबक के उत्तरी ध्रुव की ओर होगा। इसके कारण दंड चुंबक कुंडली की ओर लगातार बढ़ते हुए त्वरण से आकर्षित होगा। चुंबक को दिया गया हलका-सा धक्का इस प्रक्रिया को प्रारंभ कर देगा तथा बिना किसी ऊर्जा निवेश के इसका वेग एवं गतिज ऊर्जा सतत रूप से बढ़ती जाएगी। यदि ऐसा हो सके तो उचित प्रबंध द्वारा एक शाश्वत गतिक मशीन (perpetual motion machine) का निर्माण किया जा सकता है। यह ऊर्जा के संरक्षण नियम का उल्लंघन है और इसीलिए ऐसा नहीं हो सकता।

अब चित्र 6.6(a) में दर्शायी गई सही स्थिति पर विचार करें। इस स्थिति में दंड चुंबक प्रेरित विद्युत धारा के कारण एक प्रतिकर्षण बल का अनुभव करता है। इसलिए चुंबक को गति देने के लिए हमें कार्य करना पड़ेगा। हमारे द्वारा खर्च की गई ऊर्जा कहाँ गई? वह ऊर्जा प्रेरित धारा द्वारा उत्पन्न जूल ऊष्मन के रूप में क्षयित होती है।



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