Physics

Q.56: स्व प्रेरकत्व किसे कहते हैं ? स्व प्रेरण गुणांक का मात्रक लिखिए । किसी धारावाही कुण्डली में संचित ऊर्जा का व्यंजक ज्ञात कीजिए ।

Answer:  जब किसी कुण्डली में बहने वाली विद्युत धारा के मान में परिवर्तन किया जाता है तो कुंडली से गुजरने वाली रेखाओं की संख्या में परिवर्तन से प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है। इस घटना की स्वप्रेरण कहते हैं।

यदि किसी कुण्डली में i धारा प्रवाहित करने पर उससे वह फलक्स φ, हो तो - φ = L i

L = constant जिसे कुंडली स्वप्रेरकत्व कहते हैं

φ = L         if i = 1

अतः कुण्डली का स्वप्रेरण आंकिक रूप से कुण्डली के उस चुम्बकीय फलक्स के बराबर होता है। जो कुण्डली में एकांक धारा प्रवाहित करने पर उत्पन्न होता है।

लंबी परिनालिका के स्वप्रेरकत्व का व्यंजक -1

माना कि परिनालिका की लंबाई x त्रिज्या r

यदि उसके x लंबाई में फेरो की संख्या n हैं

तब इसके एकांक (1) लंबाई में फेरो की संख्या N / x होगी

अर्थात -

n = N / x

N = n x           ....(i)

यदि परितालिका में i धारा प्रवाहित हो रही है तो इसके केन्द्र पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता

B =   µ0 ni  ..............(ii)

यदि त्रिज्या की तुलना में परिनालिका की लंबाई अधिक हों x > > r तो

परिनालिका से बद्ध, चुंबकीय होगा।

φ = NBA                .......(iii)

                  समी. (i) व (ii) से

φ = n x µ0 n I A का मान 3 में रखने पर

φ = µ0 n2 i A x           ........(iv)

Li = µ0 n2 i A x              चुम्बकीय

Li = µ0 n2 A x                 .......(v)

                    समी. (i) से

                  N = n x

                  n= N / x

                  तब समी. (v) होग

L =  µ0 ( N/ X)2 A x                 

L = µ0 ( N2 A / x)

यही परिनालिका से वह स्वप्रेरकत्व का व्यंजक होगा।



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