प्रश्न 270: संक्षारण को परिभाषित कीजिए, तथा संक्षारण से सुरक्षा के दो तरीके लिखिए ।
Answer:
संक्षारण
धातुयें वायुमण्डल की नमी CO2, SO2, NO2, H2S आदि गैसों से क्रिया कर अवांछनीय यौगिकों की परत बना लेती है, जिससे धातुओं की सतह खराब हो जाती है। यह क्रिया संक्षारण कहलाती है।
संक्षारण को प्रभावित करने वाले कारक -
1. धातु की विधुत रासायनिक श्रेणी में स्थिति - धातु की क्रियाशीलता उसकी विद्युत रासायनिक श्रेणी में स्थिति पर निर्भर करती है। जो धातु जितना क्रियाशील होती है। उसके संक्षारण की सम्भावना उतनी अधिक होती है।
2. धातु में अशुद्धियों की उपस्थिति - अशुद्धि की उपस्थिति के कारक धातु में एक वोल्टीय सेल बन जाता है। जो संक्षारण के वेग में वृद्धि करता है।
3. धातु की अवस्था या आकार - समतल या चिकनी सतह वाली धातु का संक्षारण मुड़ी या खुरदरी धातु की अपेक्षा कम होता है।
4. विद्युत अपघट्यों की उपस्थिति - जल में विद्युत अपघट्यों की उपस्थिति के कारण संक्षारण का वेग बढ़ जाता है। उदाहरणार्थ समुद्री जल में लोहे का संक्षारण आसुत जल की अपेक्षा तीव्रता से होता है।
5. जल में CO2 की उपस्थिति - जल में CO2 घुले होने के कारण लोहे में जंग शीघ्रता से लगती है। CO2 युक्त जल एक विद्युत अपघट्य का कार्य होता हैं जिससे इलेक्ट्रॉनों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवाह बढ़ जाता है।
6. रक्षक परत का आवरण - जब लोहे पर उससे अधिक क्रियाशील धातु की परत चढी रहती है तब संक्षारण की गति धीमी हो जाती है। उदाहरण जब लोहे पर जिंक का लेपन कर दिया जाता है। तब लोहे पर जंग नहीं लगती है या देर में लगती है।